राष्ट्रप्रेम गीत (7)
राष्ट्रप्रेम गीत (7)
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व्यवहार नहीं रखते ,
व्यवहार लौटाते हैं।
हम मूलधन के साथ ,
चक्री ब्याज लौटाते हैं।।
कोई एक पग बढ़ाये ,
हम दोनों बढ़ाते हैं।
कोई हाथ आ बढ़ाये ,
हम गले लगाते हैं।।
कोई एक कर उठाये ,
हम दोनों उठाते हैं।
कोई मीठे बोले बोले ,
हम गीत सुनाते हैं।।
औकात कोई दिखाये ,
हम अपनी पे आते हैं।
कुचाल चाल जो भी चले ,
पांव कटाते हैं ।।
कोई गोली आ चलाये ,
हम तोप चलाते हैं।
तुम एक आके मारो ,
हम ढेर लगाते हैं।।