राष्ट्रप्रेम गीत (16)
राष्ट्रप्रेम गीत (16)
दोस्ती को निभाना,
भी हम से सीख लो।
दुश्मनी को निभाना भी,
हम से सीख लो।|
आओ हम तुमको देते हैं,
मौके सभी।
जो तुम्हरे दिलों में,
बो तुम सीख लो।
फिर न कहना,
हमे कोई मौका न दिया।
हम तुम्हें सुन समझने का,
मौका देते हैं।
दोस्ती तुम निभाओ तो,
फायदा तुम्हें ।
दुश्मनी जो निभाओ,
तो मिट ही जाओगे।
बीते तुम बो जमाने की,
बात छोड़ दो।
हम तुम्हारी कुटिल
चाल भांप जाते हैं।
बो दिन ना रहे,
अब न वो जन रहे।
जिनको बातों में अपनी,
तुम भरमाते थे।
अब तो सारा जमाना,
सजग हो गया।
सब समझते हैं,
तुम्हरी कुटिल चाल को।
एक गलती तुम्हारी,
अब आखिरी रहे।
गलती करना नहीं,
भारी पछ ताओगे।
