राष्ट्रहित
राष्ट्रहित


है प्रिय यदि तुमको मधुरस,
मधुकर बन डोलो फूलों पर।
है प्रिय यदि तुमको जीवन,
खोजो उपवन में जा झूलों पर।
है प्रिय यदि तुमको धन,
पा लो वह अथक परिश्रम से।
है प्रिय यदि तुमको कोई जन,
पा लो तुम प्रेम समर्पण से।
पर प्रिय यदि तुमको स्वराष्ट्र,
हित उसका केवल स्वतर्पण से।