STORYMIRROR

अनूप सिंह चौहान ( बब्बन )

Abstract

2  

अनूप सिंह चौहान ( बब्बन )

Abstract

राष्ट्रहित

राष्ट्रहित

1 min
270


है प्रिय यदि तुमको मधुरस,

मधुकर बन डोलो फूलों पर।


है प्रिय यदि तुमको जीवन,

खोजो उपवन में जा झूलों पर।


है प्रिय यदि तुमको धन,

पा लो वह अथक परिश्रम से।


है प्रिय यदि तुमको कोई जन,

पा लो तुम प्रेम समर्पण से।


पर प्रिय यदि तुमको स्वराष्ट्र,

हित उसका केवल स्वतर्पण से।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract