"राणा सांगा"
"राणा सांगा"
वीर कभी मरते नहीं है, वो सदा जिंदा रहते है।
कभी दिलों में, कभी इतिहास में अमर रहते है।।
पर उनका क्या करें, इतिहास में झूठ कहते है।
जो सांगा के 84 नहीं, 80 घाव की कहते है।।
सांगा जी कहते, शान से जियो, शान से मरो।
स्वाभिमान बगैर तो केवल कुत्ते जिंदा रहते है।।
मेवाड़ में तो पशु भी स्वाभिमान से रहते है।
कभी चेतक अश्व, तो कभी रामप्रसाद गज।।
वो भी स्वाभिमान खातिर प्राण त्याग देते है।
राणा सांगा, जिन्हें हम मेवाड़ शिरोमणि कहते है।।
जिन्होंने जीवन काल में कई युद्ध जीते थे।
घाव को ही वो योद्धा के आभूषण कहते है।।
एक खानवा युद्ध, जिसमें हारे थे वो प्रबुद्ध।
उसमें राजपूतों को एक किया, ऐसा कहते है।।
राणा सांगा को हिंदुजा सूर्य प्रतीक कहते है।
युद्ध शरीर से नहीं, जिगर से लड़े जाते है।।
गर जिगर मजबूत अंगारों को फूल कहते है।
जिनका संघर्ष बड़ा, उन्हें इतिहास पुरुष कहते है।।
84 घाव होने पर भी जीवन में लड़ते रहते है।
उसे आज भी राणा सांगा का प्रतीक कहते है।।
वीर कभी मरते नहीं, वो सदा जिंदा रहते है।
कभी दिलों में, कभी इतिहास में अमर रहते है।।
