राम
राम
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जो साथ दे वो राम है
जो हाथ दे वो राम है
मेरे दुखों की धूप में जो छांव दे वो राम है।
डरूँ नहीं डटी रहूं,
एक आस से बंधी रहूं
क्षीण से ह्रदय को जो स्तम्भ दे वो राम है।
ये नाम ही तो सार है
दुखों से बेड़ा पार है
दो अक्षरों में धर्म की जो राह दे वो राम है।
बडा ही सुख है नाम में
राम राम राम में
मात्र नाम रस से जो सुख राह दे वो राम है।