राम प्रसाद
राम प्रसाद
महाराणा प्रताप का नाम है सब ने जाना,
और उनके प्यारे घोड़े चेतक को भी ;
पर बहुत कम ये जानते हैं कि,
उनका था एक हाथी भी,
जो इतना समझदार व ताकतवर था,
कि उसने हल्दीघाटी के युद्ध में अकेले ही,
अकबर के 13 हाथियों को मार गिराया था।
ये कविता है उस हाथी को समर्पित,
जिसने कुर्बान किया अपना जीवन,
अपने महाराणा के नाम |
उदयपुर के टाइगर हिल मैं स्तिथ प्रताप गौरव केंद्र में,
महाराणा प्रताप और उनके प्रिय हाथी,
की प्रतिमा लगाई गई है।
राम प्रसाद था उस हाति का नाम,
जो महाराणा प्रताप का दुलारा था |
हल्दीघाटी के युद्ध के प्रारम्भ मैं,
किया अकबर ने अपने सिपासालारो से दो मांगे,
पहला था महाराणा प्रताप को पकड़ के लाओ,
और दूसरा उनके हाति राम प्रसाद को |
राम प्रसाद को पकडऩे के लिए 7 हाथियों का,
एक चक्रव्यूह बनाया था मुगलों ने,
और उन पर 14 महावतों को बिठाया था,
तब कहीं जाके उसे बंदी बना पाए थे।
राम प्रसाद को अकबर के पास ले जाया गया था,
और अकबर ने खुश हो के दिया नाम उसे पीर प्रसाद |
रामप्रसाद को मुगलों ने गन्ने और पानी दिया,
पर उस स्वामिभक्त हाथी ने 18 दिनों तक,
मुगलों का न दाना खाया और न पानी पीया;
उसने अंत मैं अपने प्राण त्याग दिए,
पर अपने महाराणा का साथ इतने दूर,
फतेहपुर सिकरी मैं रहकर भी नहीं छोड़ा,
और शहीद हो गया |
यह देख अकबर भी ताजुब हुआ,
और बोला कि जिसके हाथी को मैं मेरे,
सामने नहीं झुका पाया,
उस महाराणा प्रताप को क्या झुका पाऊंगा।
ये थी कहानी महाराणा प्रताप के प्यारे हाति की,
जो था उनका साथी,
जिसने कभी नहीं छोड़ा था अपने महाराणा का साथ,
वो था राम प्रसाद, महाराणा प्रताप का हाति |