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पं.संजीव शुक्ल सचिन

Abstract Others

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पं.संजीव शुक्ल सचिन

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राम भक्त हनुमान

राम भक्त हनुमान

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अशोक वाटिका में हनुमान को सबकुछ

तहस नहस करता देख भय से भयग्रस्त

सैनिक एवं लंकापति रावण का संवाद


सैनिक:-

वानर है हनुमान नाम का, रूप अजब विकराल बनाया।

उसे देख मन बोल रहा अब, आज हनु बन काल है आया।।


बाग उजाड़ रहा सुंदरतम, मार रहा बड़ से बड़ योद्धा।

भाग रहे कुछ गये काल मुख, आज दिखे सब यहां अयोद्धा।।

रूप बना विकराल भयावह, लंका पर बन घन गहराया।

उसे देख मन बोल रहा अब, आज हनु बन काल है आया।।


जैसे  तैसे बच आये  हम, राजन वह विकराल बड़ा है।

देख उसे पग  डोले डगमग, जैसे  कोई  काल खड़ा है।।

मार अक्ष को किया पराजित, बल पौरुष हमको समझाया।

उसे देख मन बोल रहा अब, आज हनु बन काल है आया।।


गर्जन  जैसे,  ताडित  गर्जे, वानर  भूप महाभट भारी।

कंदमूल  सब तोड़ रहा वह, फेंक रहा सब पेड़ उखारी।।

मेरु उपारि आप छिन माहीं, अंत बना वह लंक पे छाया।

उसे देख मन बोल रहा अब, आज हनु बन काल है आया।।


लंकापति रावण:-

बलशाली है  या है माया, देवों के छल का परिचायक,

इन्द्रजीत जा देख उसे तू, बना उसे जग में अनलायक।।

बता उसे बल होता क्या है, देख डरे वह तेरी काया।

उसे देख मन बोल रहा अब, आज हनु बन काल है आया।।



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