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Mukesh Kumar Sonkar

Drama Action Inspirational

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Mukesh Kumar Sonkar

Drama Action Inspirational

राजनीति

राजनीति

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बजें तालियां चहुं ओर मेरे शब्दों पर ऐसी मेरी चाह नहीं,

आहत हों कोई मेरे शब्द बाण से इसकी भी परवाह नहीं।

ए मेरे देश की भोली जनता तुम्हें कड़वा सच मैं बतलाता हूं,

आज की गंदी राजनीति का आइना तुम्हें दिखलाता हूं।


देश के भले की कहां सोच रहे हैं आज के ये सत्ता धारी,

हर वक्त इनका एक ही सपना कैसे करें अपनी जेबें भारी।

जात पात के नाम पर आम जनता को लड़ाकर,

लाशों के ढेर पर बैठते हैं ये अपने पांव जमाकर।


भविष्य का न सोचकर करते हैं ये खुलकर भ्रष्टाचार,

जमाखोरी और लूट मचाकर करते ये लाशों का व्यापार।

गरीबों की चिताओं में सेकते हैं ये मतलब की रोटी,

नहीं चिंता इन्हें तुम्हारी हो जाए किसी की बोटी बोटी।


चुनाव जीतने के लिए नए नए प्रलोभनों में तुम्हें ललचाते हैं,

कुर्सी पा जाने के बाद फिर यही तुम्हें आंख दिखलाते हैं।

जनसेवा देशहित का झूठा ख्वाब दिखाकर सत्ता में आ जाते हैं,

सत्ता हाथ में आने के बाद फिर निज हित स्वार्थ साधते जाते हैं।


मत आओ इनकी बातों में उठो जागो ए भोले इंसान,

इनके पीछे न जाकर तू खुद अपना भला पहचान।

देश हितैषी को पहचानकर करो तुम सही मतदान,

तब जाकर होगा कहीं हमारे प्यारे देश का कल्याण।।


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