राज़ मोहब्बत का
राज़ मोहब्बत का


सुनो न ...
अपनी मोहब्बत को एक राज़ ही रहने दो ,
यूँ सिमटे हुये इश्क़ का एहसास ही कुछ और है।
खुल गया जो ये राज़ तो,
नाम अपना ही बदनाम होगा ,
बेवज़ह ही फिर मोहब्बत पर इल्ज़ाम होगा ।
सुनो न ...
अपनी मोहब्बत को एक राज़ ही रहने दो ,
यूँ सिमटे हुये इश्क़ का एहसास ही कुछ और है।
खुल गया जो ये राज़ तो,
नाम अपना ही बदनाम होगा ,
बेवज़ह ही फिर मोहब्बत पर इल्ज़ाम होगा ।