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Arun Gode

Inspirational

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Arun Gode

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राज माता जिजाऊ

राज माता जिजाऊ

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जिजाऊ तेरे आगमन से बढी,

श्री लखुजी राजे की शान.

तेरा कर्तृत्व,संस्कार, शौर्य और ज्ञान,

बनी आगे शाहाजी की शक्ति और पहचान.

तेरा मार्गदर्शन,विचारधारा बनी है,

लाखों भारतीयों के लिए प्रेरनास्थान.

तेरी कार्य-क्षमता, और नेतृत्व इतना महान,

तु बनी है विदर्भ और स्वराज्य कि पूजास्थान.

शिवा, व्येंकोजी और संभा को ,

दिये अच्छे संस्कार और अक्षरज्ञान.

इतिहास, भूगोल धर्म वेदिक संस्कृति,कृषि, पुरान,

अर्थ,वेद,विज्ञान, विभिन्न भाषा और शस्त्रज्ञान.

आदिलशाहि,कुतुम्बशाहि,ब्राम्हणशाहि,

मौगल और अन्य फिरंगीओं की कराई सच्ची पहचान.

तेरे अथक प्रयास , मार्गदर्शन और प्रेरणा,

से तपकर निकला शिवाजी व सेना और स्वराज्य का प्रशासन

लोट आयेंगी पुरानी मुलनिवासीओ की संस्कृति,

स्थापित होगा समता, न्याय ,सहिष्णुता और भाईचारा,

उम्मीद जागी,इसके आगे किसिको कुछ ननहीं है खोना.

स्वराज्य स्थापना के लिए,

कितना कठोर किया तुने अपना मन,

शिवा ,तुझे मार कर ही आना है अफजलखान,

चाहें चले जाएं इस युध्द में तेरी जान.

चिंता छोड, तेरे जगह संभाजी होगें पदासिन,

दोनों मिलके करेंगे अपने सपनों के स्वराज का निर्माण,

और आगे बढायेंगें स्वराज शासन,

कितना अदभुत था, तेरा साहस और प्रण.

बली राजा के स्वराज का था तेरा सपना,

जिसमें ह्र्रेक मावले में होगी बंधुत्व की भावना,

स्वराज में होगा खश्हाल मजदुर और किसान,

और नारी को मिलेगा मंदिर के देवी का स्थान.

जिसमें बुजुर्ग और बच्चोंको मिलेगा न्याय और उचित स्थान,

ज्ञान-विज्ञान, संस्कृति ,कला के विकास के लिए होगा खुलामैदान.

ऐसा सुंदर,आदर्श और वास्तविक  होगा स्वराज का स्थान,

न्याय,समता,सहिष्णुता ,सम्मान और अवसर के लिए होगा सुप्रशासन,

विश्वभर में गायें जायंगे अनोखे सुदृढ शासन व्यवस्था के गुन गान.

तुम्हारे त्याग,सहनशिलता,और दुरदुष्टी का क्या कहना,

तारिफ कर कर, कवि, शायरोंकि और जन-जन की थक जाए जुबान.

शाहजी राजे के लिए खुद ही लाई अपनी सौतन,

ताकि स्वराज का मंद ना पडे अभियान.

बिना भेदभाव किये,

शिवा, संभा और व्यंकोजी को बनाया बलवान.

अपने पुत्र शिवा के रचायें आठ विवाह,

मजबूत किया ,पारिवारिक रिश्ता और राजनीतिक संघटन,

परिवार में कभी आने नहिं दि रिशतों में जखडन.

परिवार का हरेक सदस्य का स्वराज में था अहम योगदान,

सिर्फ तुझेहि प्राप्त था ऐसा प्रकृति का ये वरदान.

शिवा का राज्यभिषेक करने कि थी धार्मिक कल्पना,

ताकि शिवा को मिले धार्मिका मान्यताका वरदान.

शिवाजी बने समप्रभुता, छ्त्रपति राजे,

अन्याई और राष्ट्रद्रोहियों को सुना सके दंड का फर्मान.

कर्मकांडी ठेकेदारोने चलाया धार्मिक अभियान,

शिवाजी है शुद्र कैसे बन सकते है राजन ( सम्राट ),

सभी ब्राम्हंनोने राज्यभिषेक रोकने के लिए बनाया बहाना.

राज माते तु थी चतुर ,तेरि दृष्टि थी महान,

गागा भट के लिए खोली हिरे, द्रव्य ,सोने कि खान.

पाखंडी लुटेरिओं का झुंड पुहुंचा रायगढ शामियाना,

पाखंडी पंडीतोने लुटा उपहार में रायगढ का खजाना.

लज्जित हुंआ सह्यांद्री और उसका आत्मसम्मान हुंआ बौना,

राज्यभिषेक खजाना लुट घटनासे मातोश्री, हुंई आहत और बेभान,

राज्यभिषेक के कुछ दिनों बाद पाछ्ड में त्यागे अपने प्राण.

तु थी स्वराज का आत्मबल,तेरे मार्गदर्शन में सबको था यकीन,

तेरे जानेसे छत्रपति और प्रजा हुंई यतीम!



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