राही तू चलता जा
राही तू चलता जा
राही तू चलता जा,
चलने से तेरा वास्ता।
राहों पर कंकड़-पत्थर,
टूट-टूटकर धूल बन गए।
वे सहलाती राही के
पैरों के नीचे फूल बन गए।
नहीं रहेगी थकन,
छाँव के नीचे बना है रास्ता।
राही तू चलता जा,
चलने से तेरा वास्ता।
चले चलो क्रीड़ागण की ओर
ध्येय प्राप्ति को मन संकल्पित।
तू रुकना मत, तू थकना मत,
कभी न हो तन व्यथित।
बाधाओं, अवरोधों से तुम,
जोड़ चलो एक रिश्ता।
राही तू चलता जा,
चलने से तेरा वास्ता।
सत्य शपथ ले, चले चलो तुम,
विजयपथ पर बढ़े चलो तुम।
अशुभ संकेतों से निडर हो,
रश्मिरथ पर चढ़े चलो तुम।
तन बज्र - सा, मन में शक्ति
झंझावातों में समरसता।
राही तू चलता जा
चलने से तेरा वास्ता।
