राही और मंजिल
राही और मंजिल




राह राही और मंजिल का आपस में गहरा नाता है
सुपथ पर चलता जो सदा मंजिल अपनी पाता है।
देख राह की बाधाएं हरगिज़ नहीं घबराता है
मन में रख दृढ़ विश्वास आगे ही बढ़ता जाता है
इक न इक दिन वो मंजिल अपनी पाता है।
देख पांव के छालों को तनिक नहीं घबराता है
लांघ बाधाओं के सागर आगे ही बढ़ता जाता है
इक न इक दिन वो मंजिल अपनी पाता है।