"मध्यप्रदेश"
"मध्यप्रदेश"
धरा है पावन,अति मनभावन,
देश का ह्रदय प्रदेश।
सबसे सुंदर, सबसे प्यारा,
अपना मध्यप्रदेश।
कल-कल, कल-कल बहत नर्मदा,
हरती सकल क्लेश।
विंध्याचल उत्तर दिशि सोहें,
सुंदर है, परिवेश।
सांची के स्तूप निराले,
भीमबेटका बढ़ाता शान।
उज्जैन में महाकाल विराजे,
महिमा जिनकी जाने जहान।
हीरा पन्ना यहां निकलते,
खेती करते यहां किसान।
सोयाबीन राज्य कहलाता,
दलहन में अपनी पहचान।
सभी जनें मिल बोला करते,
अपनी-अपनी बोलियां।
विंध्य, बघेली अरु बुंदेली,
सुन्दर मधुर है बोलियां।
फाग,दिवारी, रक्षाबंधन से,
सुन्दर त्योहार है।
खीर,महेरी,खुरमा-बतिया,
बेसन की तो बहार है।
घर-घर में रामायण होवें,
आल्हा और मल्हार है।
लिखना पड़े रंगोली सुंदर,
गावै मंगलचार है।
शांति का टापू कहलाता,
यहां नहीं कोई क्लेश है।
जंगल वाला, बाघों वाला,
अपना मध्यप्रदेश है।।
