राह
राह


कभी इन पहाड़ों को देख,
एक ही तमन्ना होती है।
दौड़ के पार कर इन्हे देखूँ,
उस पार जो राह खड़ी है।
अनंत, असीमित, एकांत,
निर्जन जाने वाली वो राह देख।
मोक्ष को प्राप्त होने सिद्ध,
होता है मन मे विचार ये एक।
संसार की मोह-माया से दूर,
एक सुकून का वो क्षण प्राप्त होगा।
मिलेगी वो बड़ी उपलब्धि,
मैं और वो लम्हा मात्र होगा।