प्यार सिर्फ आँसू है
प्यार सिर्फ आँसू है
उसने कहा कि प्यार आँसू है!
तो मैंने भी उससे पूछा,
तुम ऐसा क्यों सोचते हो ?
तो उसने कुछ इस प्रकार से जवाब दिया,
बेतहाशा चाहा जब उसको
तो उसने न इंसाफ दिया,
जितनी शिद्दत से चाहा था उसको
दर्द से उसने हिसाब किया।
माँगा खुदा से जिसकी हिफाज़त
तन्हा उसने छोड़ दिया,
मेरा दिल भी उससे पूछे,
"जान ये कैसा तूने इंसाफ किया ?"
देख उसी को साथ किसी के
दर्द से दिल में उठने लगा
मैंने क्या ऐसा क्या गुनाह किया
मिली जिसकी मुझे सज़ा।
मायूस हो कर अकेले बैठा तो
अगले ने उस पल इस्तेमाल किया
प्यार हुआ फिर से इस दिल को तो
उसने भी तन्हा छोड़ दिया।
नहीं बची इस दिल में इश्क़ की ख़्वाहिश
तो जगा कर यूँ न जाना था
रो रो कर आँखें थी लाल,
यह दर्द न उसने जाना था।
उस वक़्त न था दिल जगह पर
न समझ थी धड़कन ये मेरी
उस वक़्त सब से दूर रहता था
गुमनाम थी मंज़िल ये मेरी।
अकेलेपन का साथ था
गज़ब का वो एहसास था
फिर से लौट आने की
उसकी ये ज़रूरत थी, न मेरी।
फिर भी साथ निभाऊँगा
सोच कर मैंने उसके आँसू पोंछे
नहीं जान पाया था लेकिन
ये कहानी रहनी थी अधूरी।
उसका आशिक़ लौट आया था
अब वापस उसको जाना था
थूक रहा किस्मत पर मेरी,
मैं और ये सारा ज़माना था।
प्यार में जितनी ठोकर थी खाई,
हुई ज़िन्दगी में इतनी तबाही
किताबों में न किस्सों में जाना
जितनी धोके में थी परछाई।
प्यार के नाम पर सिर्फ रोया हूँ,
पाने से ज्यादा खोया हूँ
किसी से दिल लगाने की
अब नहीं कोई आरज़ू है।
क्योंकि बात सिर्फ इतनी सी है
प्यार सिर्फ आँसू है।।

