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हरि शंकर गोयल "श्री हरि"

Romance

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हरि शंकर गोयल "श्री हरि"

Romance

प्यार हुआ

प्यार हुआ

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कैसे कहें हम कि हमें तुमसे बहुत प्यार है 

तुम दिल की बातें बिन कहे समझ जाओ ना 

ये आंखें बरसा रहीं हैं अविरल प्रेम रस धारा 

तुम इस नशे में डूबकर और महक जाओ ना 

अंग अंग से बयां हो रही है प्यार की दास्तां 

तुम इस दास्तां की एक नायिका बन जाओ ना 

हर सांस में तुम्हारे नाम के तरन्नुम से बजते हैं 

अपने दिल की वीणा के तारों को झनझनाओ ना 

बहुत बेताब है "हरि" सुनने को अपना नाम तुमसे 

झूठे ही सही लबों पर एक बार तो नाम लाओ ना 

वक्त काटे नहीं कटता है बिन तेरे एक पल भी 

मेरे सीने पे हाथ रखकर इसे समझा जाओ ना।



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