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J P Raghuwanshi

Inspirational

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J P Raghuwanshi

Inspirational

'पुरुषार्थ'

'पुरुषार्थ'

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छोड़ो आलस्य, नित्य करो साधना।

कठिन पुरुषार्थ, ईश्वर आराधना।

बना दिया सेतु, राम खड़े ही रहे।

वानर भालुओं की देखो कैसी भावना।


कर्म से कटती है, दुविधा की बेड़ियां।

धीरे-धीरे चलो, कदम-कदम सीढ़ियां।

सच्चे मन से गर, तो चार कदम चलो रे।

अपनी झोली स्वयं मणियों से भरो रे।


मंजिल पे वो ही पहुंचा, जो चलता ही रहा।

आलसी को देखो हाथ मलता ही रहा।

तुम ही हो अपने भाग्य के निर्माता।

कर्म देखता है नित्य, खड़ा विधाता।


खुद भी जगो जल्दी, सबको जगाओ रे।

कठिन कर्म करने के गीत गांव रे।

ईश हमेशा उन्हीं की, सहायता करता।

परिवार को पालें, बने कर्ता धरता।



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