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Priti Ag Surana

Romance

3  

Priti Ag Surana

Romance

पत्थर और मोम

पत्थर और मोम

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ज़रूरी कहाँ है ज़ुबाँ से अपनी पत्थर गिराए जाएँ

जज़्बातों की लौ से भी दिल की शमा पिघल जाएगी


बस देर है पत्थर को मोम के क़रीब लेकर आने की

यूँही तपेगा लोहा आग में, यूँही नरमी बढ़ती जाएगी


क्या वास्ता है तुझसे मेरा क्या वाबस्ता है मुझसे तेरा

वक़्त गुज़रते सख़्ती को नज़ाक़त की आदत हो जाएगी


दिल होता जो पत्थर का तो डर नहीं था मुझको कोई

मोम से दिल को, चरागों से दोस्ती महँगी पड़ जाएगी


मैंने पिघल कर उसको छुआ और वो जलती रह गयी

सख़्ती हो तेवर में तो, दो दिलों को जला कहाँ पाएगी


शमा रौशन करती आयी है, पत्थरों से बने मकाँ को

जलेगी आख़िरी क़तरे तक और ग़ुमनाम रह जाएगी



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