Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Priti Ag Surana

Others

3  

Priti Ag Surana

Others

बच्ची थी मैं

बच्ची थी मैं

1 min
284



उम्र की थोड़ी कच्ची थी मैं

जैसी भी थी अच्छी थी मैं

आया अधेड़ हैवान था एक

पहचान न पायी बच्ची थी मैं


ख़ुशी थी बचपन की गलियों की

खेल- कूद की, सहेलियों की

गुड़ियों की शादी करते हम

कहाँ समझ थी बहेलियों की


होठों से तब ख़ून बहा था

पहली दफा जब वो चूमा था

जीवन भर ना भूल सकूँगी, जो

एक छोटी बच्ची ने सहा था..


छुवन उँगलियों की उसकी

आज भी होती है महसूस

घिन आती है बदन से अपने

बिसरी न जाती घड़ी मनहूस


समझ ना पायी थी तुम मुझको

बता न पायी माँ मैं तुझको

महफूज़ थी सबसे जहाँ, वहीं पर

नोचा गया मेरे बचपन को..


बाबा तुमसे क्या मैं कहती

समझी नहीं मैं हुआ क्या था

कोमल से मेरे शरीर को

उस जंगली ने क्यों रौंदा था


सहम सी जाती, डर जाती थी

कह न पाती थी कुछ भी

जब- जब मेरे पास वो आता

ना- ना करती रहती थी..


यौवन की अँगड़ाई लेकर

वक़्त नया जब आया है

किसी और का छूना अब तक

मुझे नहीं भा पाया है


है पापी, अत्याचारी वो

शर्मसार फिर मैं क्यों हूँ,

लड़ती हूँ खुद से ही खुद में

क्यों न मैं स्वच्छन्द जियूँ ?


चाहते सब फिर लौट के आये

बचपन कितना प्यारा था,

मेरा बचपन कभी न लौटे

पशुता से वो हारा था..


-


Rate this content
Log in