पत्रकार
पत्रकार
लोकतंत्र के विद्वानों ने,
स्तम्भ बताए चार,
तीन से सब वाकिफ़ है,
है चौथा पत्रकार।
चौथा पत्रकार,
जानिए इनको थोड़ा,
इतिहास का कई बार,
इन्होंने ही रुख़ मोड़ा।
ये जनता की आवाज़,
यही है कलम सिपाही,
लोकतंत्र की रक्षा के,
ये उत्तरायी।
इनसे ना छिप सकते,
घपले या घोटाले,
अच्छे काम किए हों,
चाहे किए हों काले।
ये जाने अंदर की बातें,
आंखें इनमें चार,
लोकतंत्र के रक्षक है
ये है पत्रकार।
बात 84 की हो,
या 92 वाली,
या गोधरा के दंगों से,
हों रातें काली।
संत बने कितने ही,
बाहर पहने चोगा,
इनसे ना बच सकते,
झूठे पंडित पोंगा।
2जी -3जी कोलगेट,
घोटाले हों या,
अन्ना के अनशन में,
गूंजे नारे हों या।
या अच्छे दिन के,
वादों वाली मन कि बातें,
या आतंकी घटना पे,
सुबकती काली रातें।
जे एन यू, ए एम यू या,
फ़िर लाल किला हो,
या आज मांगने हक़ अपना,
किसान चला हो।
घटना जो भी घटी देश में,
सब तक पहुँचाई,
बाहर की सब परत हटा,
सही तस्वीर दिखाई,
निष्पक्षता के साथ बने,
जो देश का आधार,
सत्ता का जो दम्भ तोड़ दें,
वो है पत्रकार।।