पत्र
पत्र
प्यारे देशवासियों
मैं ,भारत माता
तुमसे मेरा जन्मों का नाता
पर अब कुछ समझ नहीं
तुम सब को क्या हो जाता।
अपने बच्चों की दुर्दशा न देख पाती हूँ
दोषी कौन न ढूँढ पाती हूँ
देश की हालत देख घबराती हूँ
किसे समझाऊँ न समझ पाती हूँ।
कुछ लोगों के स्वार्थ ने
सबको सूली पर चढ़ाया है
अपना सिद्ध करने में
दूसरों को रूलाया है ।
संस्कारों का अब पतन हो रहा है
कर्म अब निकृष्ट हो रहा है
माँ बहनों की इज्ज़त का भी
सारे बाजार निलाम हो रहा है ।
सियासी दावपेच चल रहे हैं
छात्रों के जीवन से खेल रहे हैं
अंधी भेड़ चाल लोग चल रहे हैं
अपना संयम भी खो रहे हैं ।
अजीब माहौल बनता जा रहा है
एक दूजे को काटा जा रहा है
बस अपना फायदा सोच रहा है
मानव गर्त में डूब रहा है ।
तरीका चाहे कोई हो
बस अपना फायदा हो
जाति धर्म के नाम पर
चाहे खून खराबा हो।
तरस उन्हे नहीं आता है
युवा गुमराह हो जाता है
भविष्य अपना बरबाद कर
सियासत की भैंट चढ़ जाता है।
पाप तब और बढ़ जाता है
जब राह गल्त अपनाता है
मारपीट व आग जनी से
देश को नुकसान पहुँचाता है ।
युवा पीढ़ी..
माँ भारती के लाल हो तुम
भारत का उज्ज्वल भविष्य हो
अपनी सोच पर काबू करो
कुछ चिंतन व मनन करो ।
भीड़ बनने का प्रयास न करो
खुद को अग्रणी ही बनाओ
अपने सत्कर्मों से आगे बढ़कर
मेरा व देश का गौरव बढ़ाओ।
अपने जोश को न करो बरबाद
ज्ञान के क्षेत्र में करो प्रयास
पढ़लिख कर बनो नवाब
जग में रोशन करो नाम।
ये हड़ताले ,दंगे फसाद
न तुमको शोभा देते हैं
माँ सरस्वती का आशीर्वाद लो
जीवन को अपने सार्थक कर लो।
मेरा आशीर्वाद तुम्हारे है साथ
पर एक वचन मुझको दे देना
गलत का कभी साथ न देना
मातृभूमि का सम्मान करना ।
