पतझड़ है यह जीवन
पतझड़ है यह जीवन
राह को तकते हैं कि किसी वक्त कोई नजर आ जाए
आह को छुपाते हैं कि कहीं शख्स कोई रूठ ना जाए ।
गिरे पत्ते राह के जो हमें नजर आए है
बीते दिनों के पलों को जो पसंद नहीं आए हैं ।
गिरे पत्तों का कसूर नहीं था वो तो पेड़ों के लिए पुराने हो गए थे
नये पत्तो के स्वागत में जो उनको तो राह में बिछना था ।
गिरे पत्तों कि तरह हम जो राह में क्या बिछ गये थे
सिरे से हमें खारिज करने के देखो इन्हें बहाने बता दिये है ।
जो पत्तें गिरे वो तो फिर लग नहीं पाते हैं
किसी की नजरों में गिरे तो फिर मान नहीं पाते हैं।
गिरे पत्तों पर जो नये पत्तों का हंसना है
नये पत्तों एक दिन आपको भी गिरना है ।
हमें तो बस रुचि थी जो हम राह को देखते रह गये
नये पतों की तरह तो कोई इस पतझड में नजर नहीं आये।