पर्यावरण संभालो
पर्यावरण संभालो
कोरोना का एक ही फायदा हुआ,
प्रदुषण बहुत कम हुआ,
हवा का स्तर सुधरा,
नदियों का पानी स्वच्छ हुआ।
पुराने दिन याद आने लगे,
जब आकाश होता था नीला,
हवा भी होती थी तंदरुस्त,
कुदरत थी बहुत खुश,
संवरती थी,
मुस्कराती थी,
पक्षीयों का मधुर संगीत सुनने को मिलता था,
और वातावरण मनमोहक होता था।
इसलिए "अनिल" सोचता,
कोरोना था कुदरत की इंसान को चेतावनी,
मत करो मुझ से खिलवाड़,
मत करो कुठाराघात,
तरक्की आवश्यक है,
कुछ ऐसा समन्वय बनाओ,
तरक्की भी हो जाए,
और परियावरण भी बच जाए,
इंसान और परियावरण आपस में मेलजोल से रह पाएं।