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Sonu Sharma

Romance Tragedy

4.7  

Sonu Sharma

Romance Tragedy

परवाह

परवाह

1 min
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तुम्हें जो परवाह नहीं मेरी, हमें भी परवाह नहीं तेरी।

अकेले चलने का भी हुनर, अब सीख लिया मैंने।

मेरी इस बात का तो श्रेय, सिर्फ तुम को जाता है।


हम कहां थे, कहां पर ला दिया तुमने।

दर्द का तो अब हमसे, रिश्ता पुराना है।

सबक यह भी जिंदगी का, सिखा दिया तुमने।


अल्फाजों की बातों को, कभी तुम समझ नहीं पाएं।

दिया दस्तक हमने कई बार, तुम फिर भी नहीं आए।

मुकद्दर में ना तुम थे मेरे, घरौंदा क्यों बनाया था।


एहसासों को मेरी तुमने, सुंदर मोतियों में पिरोया था।

वफा के नाम पर हम, आज वादा तुमसे करते हैं।

तेरी यादों के लम्हों को, आज दफना दिया हमने।


कभी जो सामने आए तो, मुंह तुम फेर मत लेना।

अदायगी से सर झुका देना, बंदगी में मेरी।

तुम्हें जो परवाह नहीं मेरी, हमें भी परवाह नहीं तेरी।


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