प्रतिशोध
प्रतिशोध
ना लेने देता किसी की शोध,
जब सर चढ़ता है प्रतिशोध ,
इस से बच कर रहने वाला ,
मिला ना कोई बड़ा दिलवाला।
प्रतिशोध की जहां जलती ज्वाला,
वह ना रहती कोई प्रेम की माला ,
हर शब्द है बनता विष का हाला ,
जब पड़ता प्रतिशोध से पाला।
ना लेने देता किसी की शोध,
जब सर चढ़ता है प्रतिशोध ,
इस से बच कर रहने वाला ,
मिला ना कोई बड़ा दिलवाला।
प्रतिशोध की जहां जलती ज्वाला,
वह ना रहती कोई प्रेम की माला ,
हर शब्द है बनता विष का हाला ,
जब पड़ता प्रतिशोध से पाला।