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Shailaja Bhattad

Abstract

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Shailaja Bhattad

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प्रतिमूर्ति

प्रतिमूर्ति

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नारी पर नए-नए कसीदे बुनते हैं

कभी खुदा तो कभी सरताज बना देते हैं

पढ़ते हैं तो लगता है

मानो कहते हैं


आओ नारी तुममें विश्वास जगाते हैं

तुमसे तुम्हारी शक्ति का परिचय करवाते हैं

यह सब पढ़कर नारी कितनी छोटी लगती है

लेकिन मिलने पर


शायरी ही सबसे छोटी बन पड़ती है

नारी तो इन सबसे ऊपर लगती है

असीमित परवाज लेती दिखती है

विश्वास और साहस की प्रतिमूर्ति लगती है।


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