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amit Rajput

Abstract

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amit Rajput

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प्रकृति से खिलवाड़ मत कर मानव

प्रकृति से खिलवाड़ मत कर मानव

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प्रकृति से खिलवाड़ कर सुंदर वृक्ष और जंगल क्यों काट रहा है

लाखों बीमारियां उत्पन्न होंगी इससे फिर क्यों मौत बांट रहा है


पशु पक्षी जानवरों का घर था जिस जंगल में वो कहा जाएंगे

नहीं मिला उनके अनुकूल उन्हें भोजन पानी यह यूं ही मर जाएंगे


जरूरत कम कर अपनी हे लोभी मानव तुझे ईश्वर भी डांट रहा है

बिगड़ रहा है प्रकृति का संतुलन फिर तू क्यों वृक्ष काट रहा है


समय अभी भी है संभल जा हे मानव वरना एक दिन पछतायेगा

वृक्ष और घने जंगल ही नहीं रहे तो तू सांस कहां से ले पाएगा


समझ चेतावनी ईश्वर की प्रकृति संतुलन तुझसे कुछ मांग रहा है

जब तक वृक्ष है तब तक जीवन है हमारा फिर भी तू वृक्ष काट रहा है।


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