प्रकृति ही स्वर्ग
प्रकृति ही स्वर्ग
ये रंग, ये राग, ये फूल ये साज
किसने बनाये,
ये तितली, ये भौरें,
ये किसलय के आंचल के हिलोरे
किसने बनाये
ये प्यारी सी बहार, ये भोर की किलकार
ये मांझी, ये हवाएं
किसने बनाये
ये तितली के पंखों के रंगीन बादल
ये फूलों की पंखुड़ियों पर रंगों के सागर,
ये भवरों के ऊपर लगा गहरा काजल
ये नाजुक सी कलियों में प्यार का गागर
ये इतने सारे मोती पृथ्वी पे आकर
धरती पर ही स्वर्ग बनाये
इतनी सुंदरता, इतना अनुपम धरालत,
न जाने कब, कैसे किसने बनाये।