STORYMIRROR

Tripti Dhawan

Abstract

4  

Tripti Dhawan

Abstract

प्रकृति ही स्वर्ग

प्रकृति ही स्वर्ग

1 min
23.2K

ये रंग, ये राग, ये फूल ये साज

किसने बनाये,

ये तितली, ये भौरें,

ये किसलय के आंचल के हिलोरे

किसने बनाये


ये प्यारी सी बहार, ये भोर की किलकार

ये मांझी, ये हवाएं

किसने बनाये


ये तितली के पंखों के रंगीन बादल

ये फूलों की पंखुड़ियों पर रंगों के सागर,

ये भवरों के ऊपर लगा गहरा काजल

ये नाजुक सी कलियों में प्यार का गागर


ये इतने सारे मोती पृथ्वी पे आकर

धरती पर ही स्वर्ग बनाये

इतनी सुंदरता, इतना अनुपम धरालत,

न जाने कब, कैसे किसने बनाये।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract