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Vijay Kumar parashar "साखी"

Inspirational

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Vijay Kumar parashar "साखी"

Inspirational

प्रकृति और पर्यावरण

प्रकृति और पर्यावरण

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खिल रही है कलियाँ ,उग रहा है उपवन

हर तरफ़ दिख रहा है,हरे पौधों का धन

जब से हुआ कोरोना महामारी का चलनपक्षी मधुर गीत गा रहे है सुन ले तू मन

जब से हुआ है कोविड 19 का प्रचलनहर तरफ हुआ है कारखानों का सोर कम

प्रदूषण का भी बहुत हुआ है इससे क्षयजिसे मान रही थी ये पूरी दुनिया अक्षय

कोरोना से पर्यावरण का हुआ है भलाटल गई है मनुष्य के प्रदूषण की आपदा

प्रकृति ने सीख दी हमे ये जोर-सोर सेतू मुझको बचा ले हे मनुष्य चहुओर से

में बचा लूंगी तुझे हरबीमारी की ओट सेतू फिर से जी ले 100 साल मेरी ओर से

तू न माना,इसलिये दिया कोरोना-तमगातू मान जाता न खोता तेरा कोई लम्हा

अब न करना मनु तू कभी मुझसे धोखामें सदा ही तुझको फल दूंगी बहुत चोखा

मेरा अस्तित्व है तो तेरा भी वजूद रहेगामेरे बिना कैसे चलेगी तेरे जीवन-नोका

इसलिये मुझे बचाओ,ज़्यादा पेड़ लगाओपर्यावरण शुद्ध बनाओ,हर बीमारी भगाओ

ये पर्यावरण जब तलक रहेगा जिंदातू कभी न पहनेगा बीमारी का फंदा

कहता है साखी,सब सुन लो बात माँ कीप्रकृति का रखो ख्याल,उम्र बढ़ाओ थाकी



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