प्रियतम की खोज
प्रियतम की खोज


सजल नयन से,
विह्वल मन से,
याद बहुत ही करते हैं,
प्रियतम कभी पुष्पो,
कभी पक्षी से,
बात तेरी ही करते हैं,
खोया नही तू,
पास है मेरे,
मेरे कण कण में रहता हैं,
मैं तेरा हूँ, मैं तेरा हूँ,
पल पल बस ये कहता हैं,
सुंदर उपवन में,मस्त पवन में,
तू हर कण कण में रहता है,
कहाँ जाऊँ और क्यो मैं खोजू,
तू इस तन मन का स्वामी हैं,
तुझे खोजने जाने कितनों ने,
पूरी दुनिया छानी हैं,
पर तु अंतस का वासी,
न जाने ये प्यारे हैं,
सुध बुध कर्तव्यों की भुला,
खोजते फिरे ये सारे हैं,
तू तो उन दुखियो में विराजे,
सेवा से मिल पायेगा,
जाने न ये भटका राही,
वो कैसे तुझे पाएगा,
वो कैसे तुझे पायेगा।।