"परिवर्तन"
"परिवर्तन"
तलवारों की धारों पर,
सम्हल-सम्हल कर चलना होगा।
बरस रही बाधाएं पथ पर,
उन्हें पैर से दलना होगा।
पापों से संतप्त धरा है,
चारों ओर मचा क्रंदन।
वैचारिक क्रांति पैदा कर,
मोटी हो जाए चंदन।
जूनी पुरानी जो मान्यताएं,
अब तो उन्हें बदलना होगा।
जिसमें हो कल्याण सभी का,
पुष्पद हमें चलना होगा।
