परिवार
परिवार


परिवार
एक शब्द नहीं
पूरा संसार है समाया
खुलता है दरवाज़ा एक घर का वहाँ।
परिवार
नहीं है घर
न ही चार दीवारी
घर बनता है उसमें रहने वालों से वहाँ।
परिवार
हर सदस्य का
अपना अस्तित्व होता
अपनी एक पहचान होती है वहाँ।
परिवार
जहाँ होता प्यार
रहता है सुख चैन जहाँ
सब रखते ख्याल इक दूजे का वहाँ।
परिवार
न किसी में होड़
न किसी से जलन जहाँ
विश्वा
स इक दूजे में होता है वहाँ।
परिवार
सुख में चहके
दुख में साथ रहे खड़े
धूप छाँव जीवन की साथ सहे वहाँ।
परिवार
बड़ों का मान
छोटों को लाड- प्यार
प्रभु का भी वास होता है वहाँ।
परिवार
संस्कारों का वहन
संस्कृति का निर्वाह जहाँ
सुसंस्कृत परिवार रहता है वहाँ।
परिवार
हर सदस्य जहाँ
बढ़ाता परिवार का गौरव
समाज में बनता संस्कारों की मिसाल वहाँ।