परिवार एक मुक्ता हार
परिवार एक मुक्ता हार
रंग बिरंगी दुनिया लगती रंग बिरंगें रिश्तों से
जैसे राशि पूरी होती छोटी-छोटी किश्तों से।
टेढ़े मेढ़े रस्तों पर चाहे कोई ना दे साथ
कभी धैर्य खोने ना दे बाबा.. स्नेह भरा यह हाथ।
क्रोध लोभ जैसे व्यस्नों की दुनिया में अग्नि जलती
तभी तो यह सारी दुनिया मां के आंचल में पलती।
झिलमिल सी राखी भाई की जीवन में ज्योति भरती
तीखी मीठी नोकझोंक जीवन को रोशन करती।
चंचल सी हिरणी से प्यारी बहना का क्या कहना
सदा सदा हम सब ही चाहें इनके संग ही रहना।
एक एक प्राणी से जुड़कर पूरा हो परिवार
मोती मोती मिलकर बना हो देखो जैसे मुक्ता हार।