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Sanjay Jain

Abstract

5.0  

Sanjay Jain

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पढ़ी लिखी भौजी

पढ़ी लिखी भौजी

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पढ़ी लिखी भौजी और,  

 भैया की ये है कहानी।

गांव वालों को है सुनानी।

क्योंकि भौजी की कार्यशैली हैं निराली।


भौजी की कार्य शैली बहुत हैं निराली।

 घर बार के बारे में वो सब जाने।

तभी तो सबको कामों में लगा दिया।

घर की बेरोजगारी को उन्होंने भागा दिया।

आज कल भौजी के किस्से हर कोई सुनता।

जुबां पर भौजी का नाम आता है।।


पढ़े लिखे भैया और भौजी।

शहर को छोड़ गांव में आये ।

गांवों के तौर तरीके वो बदलेंगे।

हर किसी को आत्मनिर्भर बनायेंगें।

अपनी पढ़ाई का दोनों उपयोग दिखेंगें।

गांव को आत्मनिर्भर बनाएँगे।।


अब तो भौजी के चारो तरफ है चर्चा।

 भैया के संग गांव वाले भी हैं चाहते।

तभी तो भौजी अब सबको है भाती ।

 इसलिए भौजी अब ज्यादा इतराती।

सारे गांव में वो अपनी खूब चलती।

गांव को शहर बनाती।


बड़े बूढ़े भी अब खुश बहुत दिखते है ।

बहू के कामो की प्रसन्नता सब करते है।

गांव वालो की मानो बदली है काया।

सारो को जो धंधे पानी से जो लगाया।

अब पढ़े लिखो का अब कर्तव्य ये है बनता।

गांवों को उन्नत बनाये..।



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