प्रेम
प्रेम
तुमसे मिलने से पहले
मैंने कभी नहीं जाना था
प्रेम शब्द का अर्थ ?
तुम्हे देखता हूँ तो समझ
आती है प्रेम की व्याख्या..
तुम्हारी हर वो बात जोड़ती
है प्रेम के हर कच्चे धागे को
बड़ी शीतलता से..
तुम्हारे नाम की तरह
'विमल' होना चाहिए प्रेम
किसी दो हृदय के भीतर..
इस बैरागी को सिखाया तुमने
प्रेम बड़ी कोमलता से..
प्रेम अंतर्मन की आत्मा का मिलन है,
प्रेम विचलित मन की स्थिरता है,
प्रेम गंगा और शिव का मिलन है,
प्रेम त्याग का प्रमाण है।