प्रेम
प्रेम
प्रेम ही ईश्वर
प्रेम ही पूजा
प्रेम ही प्राणि की पहचान,
प्रेम नहीं तो
सम्पूर्ण जगत में
कुछ भी नहीं लो जान.!!
प्रेम से धरती
प्रेम से गगन
प्रेम से पंचभूत संधान,
प्रेम ही सृष्टि
प्रेम ही स्थिति
प्रेम ही महानिर्वाण.!!
प्रेम ही जड़ है
प्रेम ही चेतन
प्रेम ही ज्ञान विज्ञान,
प्रेम ही भक्ति
प्रेम ही शक्ति
प्रेम ही विधि का विधान.!!
प्रेम ही पाठ है
प्रेम से ठाठ है
प्रेम है धन की खान,
प्रेम तृप्ति है
प्रेम मुक्ति है
प्रेम है जीवन की शान.!!
प्रेम शब्द को
अभी समझ लो
यही है शाश्र्वत ज्ञान
यह नहीं तो
शून्य है जीवन
यह तन शव के समान.!!