प्रेम स्पर्श
प्रेम स्पर्श
प्रेम में हो तो ले लेना उसके दर्द और गम
दे देना अपना कंधा सुकून से भरा
भर लेना अंक में और करना बेइंतहा प्रेम
करना उसके माथे पर चुम्बन
और लेना उसकी बलाए
गले में उसके अपनी बाहों को
ऐसे डालना जैसे हो कोई ताबीज़
उसके भीगे पलकों को अपने स्पर्श से सुखाना
हृदय स्पर्श से जताना उसे
कितनी करते हो उससे मुहब्बत
फिर तुम देखना कैसे वो
एक खुली किताब कि भांति
खुद को रखती है तुम्हारे समक्ष
उसे पढ़ना बिना किसी नाप तौल के
झांकना उसके मन के हर कोने में
निहारना उसके मुखमंडल को
तब भी शायद ना समझ पाओ
उसके हृदय के इतिहास
और जीवन के भूगोल को
ना जाने कितने दर्द स्मृतियां
समाहित होंगी उसके हिय में
उम्मीदों का ज्वार उठता होगा
उसके भी उद्वेलित मन में
मगर सहेज लेती होगी खुद को तुम्हारे सामने
मगर तुम तोड़ना उसके हृदय संकोच को
करना अधरो पर चुम्बन
फिर लेना उसका हाथ अपने हाथों के बीच
और करना संकल्प
साथ निभाने का सात जन्मों का
साथ चलने का हर मुश्किल को
आसान बनाने का और
तारो से भरी रात में करना उसे इतना प्रेम
जितना चंदा करता है अपनी चांदनी को
पिघला कर सारे दर्द उसके
मिला लेना उसे खुद में
और भर देना खुशियों के मोती
उसके दामन में।

