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Abhishek Singh

Abstract

4.9  

Abhishek Singh

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प्रेम रंग..!

प्रेम रंग..!

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रंग हो तो प्यार सा,

इश्क़ हो तो गुलाब सा।

रंगे ख़ुद महकाए सबको,

ले हाथ में जो जाए इसको।


दोनों का रंग है प्रेम,

दोनों का सम्बंध है प्रेम।

एक चाहो तो प्रीत को दे दो,

दूजा चाहो रंग प्रीत लगा दो।


प्रेम सुगंध रंग है अनन्त,

पृथ्वी पे जीवन पर्यन्त।

लो जीवन कर सुगन्धित,

परमात्मा में लीन आनंदित।


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