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Sadhna Singh

Classics

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Sadhna Singh

Classics

प्रेम की अनिवार्यतः

प्रेम की अनिवार्यतः

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प्रेम ही पूजा और प्रार्थना है,

ईश्वर की आराधना और स्व की साधना है,


वृक्ष की डालियां थिरकती है

क्यूंकि समर्पित है पवन को।


मेघ करते है आलिंगन और

बरस जाते है पर्वतों पर।


पुष्प पूरित है मुस्कुराहट से

क्यूंकि भंवरे के प्रति अनुरक्त है।


धरती और चांद का प्रणय 

असीमित अगणनीय है।


प्रेम है, तभी प्रकृति है,जीव हैं

और असंख्य संभावनाएं है।


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