प्रेम का अलख जलाये रखना
प्रेम का अलख जलाये रखना
जिसे कभी गोद में लेकर खिलाया ,
कभी कर पकड़ जिसको चलना सिखाया !
माता का आँचल है जिसके पास ,
उस बेटे की आँखों में ममता की आस !
कभी पुस्तकों में उलझा ही पाया,
कभी बीच रातों में उसको जगाया !
भविष्य की चिंता है जिनके पास ,
उन छात्रों की आँखों में परिश्रम की आस !
कभी चोरी -डाका कभी क़त्लेआम ,
कभी सीनाज़ोरी करे कोई यूँ खुलेआम !
कभी गोली पिस्टल मिले जिसके पास ,
उस लोभी की आँखों में रिश्वत की आस !
कभी पत्नी रोती कभी माँ बिलखती ,
कभी ख़ून बहता कभी लाश बिछ जाती !
शराफ़त नहीं कोई है जिसके पास ,
उन आँखों में बसती है नफ़रत की आस !
कभी सोचती हूँ....ये कैसा जहाँ है ,
इंसा की क़ीमत क्या कुछ भी नहीं यहाँ है !
दया और ममता हो जिस किसी के मन में ,
वो अलख जलाए रखते दूसरों के जीवन में !