प्रेम ज्योत जला ही लेंगे
प्रेम ज्योत जला ही लेंगे
न रुकेंगे,न थकेंगे,
दीप से दीप सदा जलेंगे।
न हारेंगे,न हारने देंगे,
अंशुमा बन अब हम चलेंगे।
न रूठेंगे,न रूठने देंगे,
प्रेम की ज्योति हम बनेंगे।
न भटकेंगे, न भटकने देंगे,
अरुणिमा बन हम चमकेंगे।
जीवन एक महा वरदान है,
जाग्रति यह हम मिल देंगे।
कितना भी हो प्रदूषण,
हम मिल उसको दूर करेंगे।
वैचारिक क्रांति के बल पर,
हम सब खुशहाली ही भर देंगे।
न होंगे हताश,न होने देंगे,
खिलखिलाना हम सिखा ही देंगे।
कितना भी बैरी जमाना,
हम अपना बना ही लेंगे।
इस दीपावली हम सब मिल,
प्रेम ज्योति जला ही लेंगे।
अपनी प्यारी वसुधा को,
हम सब मिल सजा ही लेंगे।।
