प्रेम और रिश्ता
प्रेम और रिश्ता
निश्छल प्रेम
उदार होता है क्योंकि
निस्वार्थ होता है।
वह अकेले
खुल के जी सकता है
लेकिन रिश्ता
अकेले नहीं जी पाता
वो निभाए जाने का
मोहताज है
जिम्मेदारियाँ
निभा कर उसकी
कसौटी पर
खरा उतरना होता है।
प्रेम के लिए
कसौटी अगर है तो
वो प्रेम खुद है।