परबचन
परबचन
महीनों के बाद डोरबेल बजा
चौकन्ने कान, रोका बर्तन धोते हाथ
ऊँची आवाज में पूछ डाला
कौन है ?
जी ! मैं अखबार वाला।
आज तो पहली ही तारीख है
इतनी क्या हड़बड़ी है ?
देना ही तो दे डालो
देने में क्या गड़बड़ी है ?
बिना मास्क लगाए
आपने दरवाजा क्यों खोला
पति पर गुर्राती मैंने
खुदरे पैसे लेते-देते
मास्क नहीं डाला।