प्राकृतिक के कातिल।
प्राकृतिक के कातिल।
प्राकृतिक है , ईश्वर का अनमोल वरदान।
इसका अपमान ना करो नादान।
जिसने इसका अपमान किया।
प्राकृतिक ने उसका सर्वनाश किया।
विकास के नाम पर तुमने यह क्या किया।
प्रकृति पर खंजर से वार किया।
फिर ऐसे विकास का क्या उपयोग।
जिस से उजड़ जाए खुद ही लोग।
प्राकृतिक पर खंजर से वार किया।
फिर कहते हो धरती मेरी माँ है।
तुम हो धरती माँ के पापी की बेटे।
धरती माँ ने तुम्हें अपनी।
हवा, पानी ,फल - फूल और जल से पाला।
धरती को अगर माँ करते हो तो।
सुधर जाओ मेरे प्यारे बेटे।
अगर मैं नहीं रही तो बेटे।
फिर बैठ कर मत पछताना।
माँ थी तो कितना आराम।
माँ के बिना तो यह हाराम।
इसलिए करो मिलकर एक दृढ़ निश्चय।
ऊंचा करूंगा धरती माँ का मान।