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Bhawana Raizada

Abstract

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Bhawana Raizada

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पंख होते तो

पंख होते तो

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पंख होते तो उड़ जाती मैं

नील गगन उस पार


घूम घूम इतराती मैं

नहीं डरती किसी की

प्याली से।


चहुँ ओर चहचहाती मैं

पालकी की ओर


नहीं हाथ किसी के आती मैं

पंख होते तो उड़ जाती मैं

नील गगन उस पार।


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