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Anshala Gupta

Tragedy

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Anshala Gupta

Tragedy

पल

पल

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जिंंदगी के कुछ पल ऐसे होते हैं

जो जन्नत की सैर करा जाते हैं।

वह पल भी तेज हवा की तरह आते हैं

और खामोश रुकी नदी में भी लहरें उठा जाते हैं।


जिस तरह लहरों के बाद नदी शांत हो जाती है

कुछ इसी तरह उस पल के बाद जिंदगी वीरान हो जाती है।


मानों फूूल है पर खुशबू नहीं

सावन है पर बारिश नहीं

कोयल है पर मीठी आवाज नहीं

शरीर है पर जान नहीं।


सब कुछ पाकर खोना आसान नहीं 

अब इस जीवन में कुछ भी खास नहीं

क्यूंकि तुम बिन वो उल्लास नहीं

क्योंकि तुम बिन वो उल्लास नहीं.....


वो पल सुनहरे थे ये तो बस एक बात है

उस पल में तुम थे शायद यही सौगात है

उस पल को पल बनाने में तुम्हारा ही हाथ है

उस पल को पल बनाने में तुम्हारा ही हाथ है.....


आज तुम होते तो शायद उस पल की कदर न होती

उसे याद करके आँखें मेरी नम न होती।


उस पल ने मेरे जीवन से अल्विदा लिया है

अपनी कीमत बता कर मुुुुझसे यूं मुंह मोड़ लिया है।


कि वो पल फिर से दोबारा न मिलेगी

कि उसके आंगन में फिर से पनाह न मिलेगी

कि फिर से खुद को कैसे बदलूं

कि फिर से खुद को कैसे बदलूं......


कि बदलाव सिर्फ जीवन को जीने की नहीं

सिर्फ सब कुछ भूल कर आगे बढ़ने की नहीं।


ये बदलाव तो मन की है

अब उसकी शांति कि वजह कैसे बदलूं

ये बदलाव तो दिल की है

अब उसकी खुुशी कि वजह कैसे बदलूं

ये बदलाव तो सोच की है

अब उसकी प्रेरणा की वजह कैसे बदलूं।


कि फिर से खुद को कैसे बदलूं

कि फिर से खुद को कैसे बदलूं......


कि जिंदगी के कुछ पल

नहीं आतें फिर से वो पल

नहीं आतें फिर से वो पल.......!



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