STORYMIRROR

Anshala Gupta

Fantasy Others

2  

Anshala Gupta

Fantasy Others

बचपन की यादें

बचपन की यादें

1 min
3.3K

ना जाने कहां छूट गईं वो गलीयां, दुकानें और स्कूल

आज आँसू न निकल आए आंखों से याद करके वह दिन,

मस्ती और स्कूल के प्ले ग्राउंड की धूल।

माना कि छोटी सी थी हमारी गलियाँ और दुनिया

पर वह दिन थे सबसे हसीन मानो कोई सुगंदधित फूल।


अपनों के साथ रहते थे

मेस का खाना नहीं घर का खाना खाते थे।

सबके साथ दिल बहल जाते थे

कांटों भरी राह पर भी कोमल फूल खिल जाते थे।


ना भविष्य की चिंता ना दुनिया का ग़म

ना दुखों का पोटला ना बेवजह का अहम।

खाते थे गोलगप्पे, चाट और आलूदम

इसीलिए आज भी उस पल की यादें नही होती दिल में दफन।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Fantasy