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Surjeet Kumar

Abstract

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Surjeet Kumar

Abstract

पकड़े जाने से डरता हूँ

पकड़े जाने से डरता हूँ

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मैं वो हूँ जो गलतियाँ करने से नहीं

पर पकड़े जाने से डरता हूँ

मज़ाक उड़ाने से नहीं

लतीफा बन जाने से डरता हूँ

लोगो को गिराने से नहीं

खुद गिर जाने से डरता हूँ

कमियाँ निकालने से नहीं

पर गिनवाए जाने से डरता हूँ

धोखा देने से नहीं

धोखा खाने से डरता हूँ

चोरी करने से नहीं

उसके जुर्माने से डरता हूँ

कत्ल करने से नहीं

सज़ा पाने से डरता हूँ


मैं कोई और नहीं तुम मे से ही एक हूँ

सच कहूँ तो कहीं ना कहीं प्रत्येक हूँ


अगर ऐसा ना होता

तो कोई गलती ना करता

किसी का मज़ाक ना उड़ता

कोई किसी को नीचा ना दिखाता

किसी में कमियाँ ना निकली जाती

कोई धोखा ना खाता

कहीं चोरी ना होती

और कहीं कत्ल ना होते

बस एक मजबूत समाज होता

जहाँ अमन चैन और प्यार होता


मैं वो हूँ जो गलतियाँ करने से नहीं

पर पकड़े जाने से डरता हूँ!



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