STORYMIRROR

महेश जैन 'ज्योति'

Inspirational

4  

महेश जैन 'ज्योति'

Inspirational

पिता

पिता

1 min
339


वह होता है भाग्यवान जो, पितु के पद को पाता है ।

स्वयं ईश ही पिता रूप धर, जीवन को सरसाता है ।।


जिसके सिर पर पितु का साया, उसे न दुःख सताता है,

पिता करे संरक्षण उसका, हर दायित्व उठाता है,

पालन पोषण शिक्षण देकर, जीवन योग्य बनाता है ।

स्वयं ईश ही पिता रूप धर, जीवन को सरसाता है ।।(1)


पिता हमारा जीवन दाता, इसीलिये ईश्वर सम है,

संघर्षों से लड़ने का भी, केवल पितु में ही दम है ,

आँच न संतति पर आती है, सारा कष्ट उठाता है ‌

स्वयं ईश ही पिता रूप धर, जीवन को सरसाता है ।।(2)


छप्पर बिना न बने झोंपड़ी, छत के बिना मकान नहीं ,

जिस दिन उठता पितु का साया, लगता सिर पर छान नहीं,

स्वार्थ हीन जो कर्म करे नित, अपना धर्म निभाता है ।

स्वयं ईश ही पिता रूप धर, जीवन को सरसाता है ।।(3)


हृदय पिता का नरियल जैसा, नेह- नीर अंतस छलके,

उसका जीवन व्यर्थ, पिता के दृग से यदि आँसू ढलके ,

ठौर न उसको मिले नरक में, जो पितु काम न आता है ।

स्वयं ईश ही पिता रूप धर, जीवन को सरसाता है ।।(4)



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational