पिता
पिता
मैं जो भी हूं
पर तू अकेला नहीं
तेरे साथ हूं मैं
तुझे अपने पांव पे
चलाने वाला हाथ हूं मैं
कहीं तुझे धूप ना लग जाए
वो साया हूं मैं
तुझे जो सुकूं के नींद आए
वो छाया हूं मैं
तेरे स्वार्थ में कहे कोई अंधा
तो हां अंधा हूं मैं
तुझे भीड़ में ऊंचा दिखाने
वाला कंधा हूं मैं
खुशबू रहे नजदीक तेरे,
फूलों की वो लड़ी हूं मैं
तेरे उस मकाम पे
जाने वाला कड़ी हूं मैं
याद रख तुझसे से भी पहले
आप हूं मैं
कहीं सब बातों से अलग
तेरा बाप हूं मैं !!
